आधुनिकीकरण पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं
ब्लॉक अध्यक्ष ने सरकारी अनुदान निवेश पर सवाल उठाए
पट्टामुंन्डाई – ओडिशा राज्य सरकार ने मरीजों की बेहतर सेबा के लिए कई प्रकर कदम उठाए हैं। हालाँकि, पट्टामुंन्डाई उप-जिला स्तरीय अस्पताल बहु समस्याओं से जूझ रहा है। यह उपजिला स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र होनकि कारण इस क्षेत्र में मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन मरीज ने उचित सेवाओं से वंचित होतेहैं। स्थानीय मरीजों को मजबूरन प्राईबेट चिकित्सा केंद्रों पर जाना पड़ रहा है। पट्टामुंन्डाई लोगोने बार-बार डॉक्टर और अन्य पदों को भरने की मांग की जाती है, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिलते हैं।
केंद्र।पड़ा जिले के प्रमुख शहरों में से एक, पट्टामुंन्डाई में स्वास्थ्य सेवा की उन्नति के लिए राज्य सरकार द्वारा 13 सितंबर, 2017 को पट्टामुंन्डाई स्वास्थ्य केंद्र को उप-जिला स्तरिय स्वास्थ्य केंद्र के रूप में घोषित किया गया । लेकिन आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों की देखभाल में बाधा आ रही है। अ।ली, राजनगर, राजकनिका, महाकालपड़ा और पट्टामुंन्डाई इलाके के हजारों हजारों लोग इस अस्पताल पर आते हैं। लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण अक्सर मरीजों को स्थानांतरित किया जा रहा है. अस्पताल में कोई जरूरी डॉक्टर नहीं है. सबि विभागों के 19 डॉक्टरों की जगह 7 डॉक्टर हैं. 21 नर्सों की जगह 6 नर्सें हैं. ऐसे में पट्टामुंन्डाई उपजिला स्तरीय अस्पताल चल रहा है. नतीजा यह है कि मरीजों को मजबूरन निजी चिकित्सा केंद्रों की ओर जाना पड़ रहा है। स्वास्थ्य केंद्र को बेह्तर दिखता हे लेकिन स्थानांतरित मरीजों की संख्या में कमी नेहि आते । जैसे-जैसे यह बढ़ता जा रहा है, पट्टामुंन्डाई में उप-जिला स्तर के अस्पताल द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल को लेकर जनता में असंतोष बधताहै।, पट्टामुंन्डाई उप-जिला स्तर के अस्पतालों के आधुनिकीकरण के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। विभिन्न विभागों में डॉक्टरों विशेषज्ञों के पद नहीं भरे जाने से छोटी-मोटी समस्या वाले मरीजों को अन्यत्र स्थानांतरित किया जा रहा है. सरकार का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में सभी चिकित्सा सेवाएँ निःशुल्क उपलब्ध हैं। अगर मरीजों को वह सुविधा नहीं मिलती है तो वे निजी अस्पताल में जाते हैं और शोषण का शिकार होते हैं.
वहीं, पिछले 20 तारीख को पट्टामुंन्डाई मेडिकल में आयोजित रोगी कल्याण समिति की बैठक में उपस्थित रोगी कल्याण समिति के सह-अध्यक्ष और पट्टामुंन्डाई ब्लॉक अध्यक्ष प्रद्युम सामंतराय ने पट्टामुंन्डाई डॉक्टर खराब रोगी देखभाल और स्वच्छता व्यवस्था के बारे में उंगली उठाई। रोगी कल्याण समिति ने रोगी देखभाल पर असंतोष व्यक्त करते हुए अनुदान निवेश पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब रोगी कल्याण समिति में लाख रुपये आ रहे हैं तो इसमें क्या निवेश किया जा रहा है. ब्लॉक अध्यक्ष ने वार्षिक बजट बिना हस्ताक्षर किए वापस कर दिया। उन्होंने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर अंदरूनी इलाकों का विकास और मरीजों की बेहतर देखभाल नहीं की गई तो वे अपना पद छोड़ देंगे. इस घटना को लेकर विभिन्न हलकों में चर्चा चल रही है , लेकिन सरकार और विभागीय अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. राज्य सरकार एवं विभागीय अधिकारियों से कार्रवाई करने की मांग की गयी है.
चिकित्सा पदाधिकारी डा. निराकार परिडा केह्तेहे अस्पताल में प्रतिदिन 300 से 400 मरीज आ रहे हैं. इन मरीजों में से अधिकतम 20 से 25 मरीजों को अन्यत्र स्थानांतरित किया जा रहा है. आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी और ब्लड बैंक, प्रयोगशाला विशेषज्ञों की कमी के कारण मरीजों की उचित देखभाल में बाधा आ रही है.